Back to resources

पक्षियों और मनुष्यों का आपसी संबंध

Climate & Biodiversity | Nov 3, 2020

पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले वर्तमान कोरोना वायरस संक्रमण ने हम सभी को इस बात का एहसास करा दिया है कि समय-समय पर जानवरों की बीमारियां मनुष्यों में प्रवेश कर भयंकर महामारी का रूप ले सकती हैं। ऐसी स्थिति में गिद्धों की बहुत जरूरी भूमिका है। वे मृत जानवरों के अवशेषों का जल्द निपटारा कर कीटाणुओं के इंसानी संपर्क की संभावना को कम करते हैं।

पर्यावरण में फैले जहरीले रसायन की वजह से हमारे गिद्ध दोहरे संकट का सामना कर रहे हैं। हमें मिलकर यह प्रयत्न करना होगा कि गिद्ध जल्द से जल्द विलुप्तप्राय श्रेणी से उभर कर दोबारा प्रचुर हों।

भारत में पक्षी सभी जगह पाए जाते हैं। हमारा देश परिंदों की सर्वाधिक विविधता वाले मुल्कों में गिना जाता है।

जहां पूरे विश्व में पक्षियों की करीब 10000 किस्में हैं। इनका एक बड़ा भाग यानि लगभग 1300 प्रजातियां या तो भारतीय उपमहाद्वीप की स्थायी निवासी हैं या फिर यहां अपने जीवन चक्र का एक बड़ा भाग बिताती हैं। प्रवासी पक्षी साइबेरिया जैसे दूर- दराज क्षेत्रों से भारत आते हैं और वे यहां से अफ्रीका तक भी जा सकते हैं।

कौन मानेगा कि नन्ही सी चिड़िया इतने बड़े कारनामे कर सकती हैं। इन्हीं कारणों से इन अद्भुत प्राणियों पर शोध और उनके संरक्षण के लिए हमारा देश एक विशेष भूमिका निभाता है। पक्षियों के बारे में वैज्ञानिक जितना कुछ समझ पाए हैं उससे कहीं ज्यादा अभी भी जानना बाकी है।

मसलन प्रवासी पक्षी बिना रास्ता भटके हजारों मील लंबा सफर कैसे तय कर लेते हैं या फिर परिंदों के संगीत की बारीकियों के पीछे क्या राज छिपे हैं। पिछले कुछ दशकों में पक्षियों की आवाज पर हुए अध्ययन से हमें कई बातें पता लगी हैं।

अक्सर पक्षी हमें दिखाई देने से पहले सुनाई दे जाते हैं। हमें लुभाने वाले मधुर गीत आमतौर पर नर पक्षियों द्वारा प्रजनन के मौसम में गाए जाते हैं। इन गीतों की अवधि कई मिनटों की हो सकती है और अक्सर ये अनेकों बार दोहराए जाते हैं।

गीत के अलावा पक्षी अन्य प्रकार की ध्वनि का भी प्रयोग करते हैं जिसका उद्देश्य झुंड के अन्य सदस्यों से संपर्क करना या खतरे का संकेत देना हो सकता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि ट्रैफिक का बढ़ता शोर पक्षियों की बोली को भी प्रभावित कर रहा है।

प्रकृति के पारिस्थितिक तंत्र को कायम रखने में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे पेड़ पौधों के परागण और उनके बीजों का प्रसार भी करते ही हैं। इसके अलावा हमारी लोककथाएं धार्मिक ग्रंथों और संगीत व अन्य कलाओं में परिंदों की खास जगह है।

Amarj Ujala

PDF

 

More like this

Climate & Biodiversity

Kabini:A Heritage to Conserve

The Japanese have long propagated the joys of Shinrin-Yoku, or ‘forest bathing’, as a meditative practice, especially for urbanites. I was very lucky to spend a few days in the Kabini forest, just before the parks closed. Though partially work-related, it was my most healing experience since the pandemic emerged. The forest was lush green, […]
Jul 22, 2020 |

Climate & Biodiversity

एक दूसरे के साथ बातें करने से स्वस्थ रहते हैं पेड़

परवाह… इस बार त्योहारों में परिवार के साथ उत्सव मनाते हम कुछ वक्त पेड़ों के रोचक दुनिया को भी जानें। अब ज्यों ही त्योहारों का मौसम आ रहा है, हम इस साल भरपूर मानसून के लिए खुश हो सकते हैं। दुर्भाग्य से कई इलाके ऐसे भी हैं जहां बाढ़ के गंभीर हालात बने। इस देश […]
Oct 5, 2019 | Article

Animal Welfare  |  COVID-19  |  Climate & Biodiversity

Why Shutting Down Reserves to Prevent Covid Transmission to Tigers is a Questionable Move

A blanket ban could endanger wildlife and human livelihoods. India must seize opportunity to innovate to live with and reduce the risk from the inevitable future contagion * India’s Project Tiger is a success by any measure. Our 51 tiger reserves now boast of at least 3,000 tigers. More and more Indians flock to safari […]
Jun 14, 2021 |

Climate & Biodiversity  |  COVID-19

Closing Event at Contagion - Science Gallery Bengaluru

Phase one of Science Gallery Bengaluru’s exhibition-season CONTAGION phase came to a close Sunday 13 June, 2021, with closing remarks by Rohini Nilekani. The COVID-19 pandemic has sent alarm bells ringing throughout the world. While we have witnessed great socio-political and economic turbulence since the start of this pandemic, we’ve also seen a renewal of […]
Jun 13, 2021 |