Back to resources

‘महिलाओं के साथ पुरुषों में भी आत्मविश्वास जगाना होगा हमें’

Laayak | Oct 18, 2020

हाल ही मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक महिलाओं को कोविड-19 से जुड़ी आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ा है। उसकी वजह यही है कि वे लैंगिक भेदभाव का शिकार सबसे ज्यादा होती हैं लेकिन लैंगिक भेदभाव ने कोविड से जन्म नहीं लिया है।

यह परिस्थिति इसलिए है कि आज भारत के 20 करोड़ नौजवान आजाद तो हैं लेकिन उनमें से अधिकतर अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ज्यादातर संपूर्ण रूप से शिक्षित नहीं हैं। उनके पास रोजगार के सीमित संसाधन हैं और इन कठिनाइयों का सामना करने के लिए वे किसी सहारे की तलाश में हैं। दुर्भाग्य से, इन सब चीजों की कुंठा ये नौजवान कभी-कभी स्त्रियों पर निकाल देते हैं। यदि हम चाहते हैं कि पुरुष अपनी समस्याओं का सामना कर पाएं, तो पहले उनकी समस्याओं को गहराई से समझना होगा।

हम पुरुषों पर अपने बहुत सारे विचार थोप देते हैं, जैसे कि उन्हें मजबूत होना होगा, कमाने वाला बनना होगा और किसी भी हाल में सफल होना होगा। छुटपन से ही, हम लड़कों को कहते हैं कि रोना लड़कियों का काम है। जब वो थोड़ा बड़े होते हैं, वो सुनते हैं कि मर्द को दर्द नहीं होता। उनकी मनोस्थिति से उनके घर पर कोई वाकिफ नहीं होता। उन्हें अपने साथियों के सामने अपनी मर्दाना छवि प्रस्तुत करनी होती है और सब कुछ ठीक होने का दिखावा करना पड़ता है। इन सब चीजों का किशोरों के विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

अगर हम एक अच्छा समाज और समृद्ध देश चाहते हैं, तो हमें पहले इन 20 करोड़ नागरिकों की जरूरतों पर ध्यान देना होगा। उन्हें भी सुने जाने का, देखभाल का, शिक्षित और सशक्त होने का पूरा हक है। लड़कों के लिए सकारात्मक रोल मॉडल्स होने चाहिए औऱ उनके पास खुद को व्यक्त करने का विकल्प होना चाहिए। क्या नागरिक सामाजिक संगठन एक ऐसा सुरक्षित मॉडल बना सकते हैं, जहां लड़के बिना हिचकिचाए एक-दूसरे से बात कर सकें, अपनी परेशानी साझा कर सकें? जैसे महिलाओं के पास आज स्वयं सहायता समूह होते हैं। एक संतुलित समाज के लिए हमें महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के आत्मविश्वास को उभारना होगा।

इसके मायने यह नहीं है कि हम महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर किए जा रहे कार्यों को कमतर आंके या उन्हें रोक दें। यह भी उतना ही जरूरी है और जारी रहना चाहिए लेकिन इसके साथ महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किशोरों और युवाओं का सशक्तीकरण करना क्यों आवश्यक है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। आपने एक महिला को सशक्त कर दिया लेकिन शादी होकर वो एक ऐसे परिवार में जाती है, जहां पुरुष दकियानूसी सोच रखते हैं, तो सोचिए क्या होता है?

ऐसे में उस महिला के पास दो ही रास्ते रह जाते हैं, पहला वह विद्रोह कर दे या शायद वह भी अपनी आधुनिक सोच को पीछे छोड़ दे। दोनों ही स्थितियां घातक हो सकती हैं। सोचिए, अगर उस घर के पुरुष सदस्यों का आत्मविश्वास ऊंचा हो और वे प्रगतिशील सोच रखते हों तो दोनों मिलकर परिवार का कितना भला कर सकते हैं।

मैं कुछ दिलचस्प संस्थाओं के साथ इस विषय पर काम कर रही हूं और चाहती हूं कि प्रत्येक घर इस काम में सहयोग करे। एक ऐसे देश में, जहां की आबादी का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नौजवान हैं, हमें इस विषय को गति देने की जरूरत है। हर घर में चर्चा होनी चाहिए कि महिला और पुरुष, दोनों को अपनी मानवीय क्षमता हासिल करनी है तो घर में किस प्रकार का वातावरण होना चाहिए?

PDF

Patrika

More like this

Laayak  |  Gender Empowerment

Report: Build the Field. Build the Movement. Engaging Young Men & Boys in India.

While the good work for the betterment of women and girls in India has to continue, the work in gender equity shall remain incomplete unless young men and boys are brought within the ambit of interventions. We need to onboard men, not only for causes of women such as achieving goals of women empowerment and […]
Nov 2, 2021 |

Laayak

The Plight of the Young Indian Man | The Bridge Talks

This is an edited version of Rohini Nilekani’s talk on the peripheral status of men and boys in discussions on gender and the need for inclusive gender empowerment, at The Bridge Talks. I have worked in the nonprofit sector for the past 20 years, and through my philanthropy, I’ve been active in issues of education, […]
Oct 27, 2016 | Panel Discussions

Laayak

Want Empowered Women? Start Thinking About how to Help Young Men.

We need to turn to the 200 million young men of India with as much urgency and focus as we spend on the millions of young women in the country. Every day, we hear of horrible atrocities that have taken place against girls and women in India. This is despite the fact that as a country, […]
Dec 14, 2017 | Article

Laayak  |  Gender Empowerment

Report: What’s it like being a young man in urban India today?

Beneath the apparent privileges that boys enjoy, there is immense pressure to perform. The societal expectations are set for them, irrespective of economic background. Men are an equal half of the societal dynamic. For behaviour to shift, we need to acknowledge the anxieties and motivations that propel actions. This understanding is relevant not just for […]
Dec 5, 2022 |